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प्रस्तावना
बिहार जैसे कृषि-प्रधान राज्य में खेती करना जितना जरूरी है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी। हर साल बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि, चक्रवात या असमय बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाएं किसानों की मेहनत पर पानी फेर देती हैं। ऐसी स्थितियों में अगर सरकार मदद न करे, तो किसान कर्ज़ में डूब जाते हैं और खेती छोड़ने तक की नौबत आ जाती है। इसी को देखते हुए बिहार सरकार ने कृषि इनपुट अनुदान योजना 2025 को और प्रभावशाली रूप में लागू किया है। यह योजना आपदा से प्रभावित किसानों को राहत पहुंचाने के लिए एक मजबूत कवच की तरह है।
कृषि इनपुट अनुदान योजना क्या है?
यह एक सरकारी राहत योजना है, जिसके अंतर्गत राज्य सरकार उन किसानों को आर्थिक सहायता देती है जिनकी फसलें प्राकृतिक आपदाओं के कारण नष्ट हो गई हैं। इसमें किसानों को उनकी भूमि के प्रकार और फसल क्षति के आधार पर अनुदान राशि दी जाती है। इस योजना के अंतर्गत सहायता सीधे किसानों के बैंक खाते में भेजी जाती है ताकि पारदर्शिता बनी रहे और किसी बिचौलिये की जरूरत न हो।
योजना का मुख्य उद्देश्य
इस योजना का मूल उद्देश्य प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को समय पर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना है, ताकि वे अगली फसल की तैयारी कर सकें। इसके अलावा यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और खेती को फिर से शुरू करने के लिए प्रेरित करती है। साथ ही, राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में भी यह योजना अहम भूमिका निभाती है।
2025 में योजना में क्या नए बदलाव हुए हैं?
इस बार योजना को अधिक प्रभावशाली और पारदर्शी बनाने के लिए कई नए सुधार किए गए हैं। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब किसान ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को और भी सरल तरीके से पूरा कर सकते हैं। फसल क्षति का मूल्यांकन अब ड्रोन और सैटेलाइट के माध्यम से किया जा रहा है, जिससे समय और मेहनत दोनों की बचत हो रही है। पंजीकृत किसानों को प्राथमिकता दी जा रही है और आवेदन के बाद स्थिति की जानकारी भी मोबाइल पर मिलती है। इसके अलावा अब आवेदन के साथ ऑनलाइन दस्तावेज़ अपलोड करने की सुविधा दी गई है जिससे किसानों को बार-बार दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते।
पात्रता की शर्तें
इस योजना का लाभ केवल उन्हीं किसानों को मिलेगा जिनकी फसल कम-से-कम 33 प्रतिशत या उससे अधिक क्षतिग्रस्त हुई है। किसान बिहार का निवासी होना चाहिए और उसकी भूमि के दस्तावेज़ वैध होने चाहिए। चाहे किसान ज़मीन का मालिक हो या किरायेदार, यदि वह सरकारी मान्यता प्राप्त है तो वह योजना के लिए पात्र माना जाएगा। इसके अतिरिक्त खेती मौसमी फसलों के लिए की गई होनी चाहिए।
लाभ की राशि और सीमा
बिहार सरकार द्वारा दी जा रही सहायता राशि भूमि की सिंचाई व्यवस्था पर आधारित है। अगर जमीन सिंचित है, तो ₹13,500 प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान दिया जाता है। असिंचित जमीन पर यह राशि ₹6,800 प्रति हेक्टेयर होती है, जबकि बागवानी फसलों के लिए ₹18,000 प्रति हेक्टेयर की राशि निर्धारित की गई है। किसी भी किसान को अधिकतम 2 हेक्टेयर भूमि तक का ही अनुदान मिलेगा।
आवेदन कैसे करें?
किसान सबसे पहले बिहार सरकार के कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट dbtagriculture.bihar.gov.in पर जाएं। वहां ‘कृषि इनपुट अनुदान योजना’ के लिंक पर क्लिक करें और फार्म में मांगी गई सारी जानकारियां भरें, जैसे नाम, आधार नंबर, बैंक खाता संख्या, भूमि का विवरण और मोबाइल नंबर। इसके बाद जरूरी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, बैंक पासबुक की फोटो, फसल क्षति का प्रमाण और भूमि रसीद अपलोड करें। सारी जानकारी भरने के बाद फॉर्म को सबमिट करें। फॉर्म की स्थिति आप वेबसाइट पर लॉगिन करके या रजिस्ट्रेशन नंबर से ट्रैक कर सकते हैं।
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जरूरी दस्तावेज़ कौन-कौन से हैं?
इस योजना में आवेदन करने के लिए किसान को कुछ जरूरी दस्तावेज़ अपलोड करने होंगे। इनमें आधार कार्ड, बैंक पासबुक की छायाप्रति, भूमि रसीद या खतियान, पंचायत से प्राप्त फसल क्षति का प्रमाण-पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो और मोबाइल नंबर शामिल हैं। यदि फसल नुकसान की फोटो उपलब्ध हो, तो वह भी फॉर्म के साथ जोड़ी जा सकती है।
योजना से किसानों को कैसे मिल रहा लाभ?
2025 में इस योजना ने बिहार के लाखों किसानों को राहत दी है। पारदर्शी प्रक्रिया के चलते किसान अब बिना किसी दलाल के सीधे लाभ उठा पा रहे हैं। डिजिटल आवेदन प्रणाली ने प्रक्रिया को तेज और सुविधाजनक बना दिया है। सीधे बैंक खाते में भुगतान मिलने से भ्रष्टाचार की संभावना बहुत कम हो गई है। कई जिलों में कृषि कार्यालयों में हेल्प डेस्क शुरू किए गए हैं जहां किसान सीधे जाकर मदद ले सकते हैं। इसके अलावा मोबाइल से ही पूरा आवेदन पूरा करने की सुविधा ने ग्रामीण क्षेत्रों में योजना की पहुंच को और व्यापक बना दिया है।
किसानों की राय क्या कहती है?
दरभंगा के किसान सुनील सिंह कहते हैं कि “पिछले साल फसल बर्बाद हो गई थी, लेकिन इस बार ऑनलाइन आवेदन के बाद सिर्फ 10 दिनों में पैसा खाते में आ गया। पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था।” वहीं, darbhanga के एक अन्य किसान रमेश मंडल ने बताया कि “अब डर नहीं लगता, क्योंकि सरकार हमारी मदद कर रही है। अगर दोबारा नुकसान होगा, तो भी सरकार साथ है।”
सरकार की प्रतिबद्धता
बिहार के कृषि मंत्री का बयान इस योजना के महत्व को दर्शाता है। उन्होंने कहा,
“हमारा उद्देश्य है कि राज्य का कोई भी किसान प्राकृतिक आपदा के कारण खेती छोड़ने पर मजबूर न हो। कृषि इनपुट अनुदान योजना किसानों की आर्थिक सुरक्षा का एक मजबूत स्तंभ है।”
निष्कर्ष
कृषि इनपुट अनुदान योजना 2025 बिहार सरकार की एक अत्यंत सराहनीय पहल है, जो संकट की घड़ी में किसानों के लिए ढाल बनकर खड़ी है। इस योजना से ना सिर्फ किसानों को राहत मिलती है, बल्कि यह कृषि उत्पादन को बनाए रखने में भी मददगार है। यदि आप एक किसान हैं और आपकी फसल किसी आपदा से प्रभावित हुई है, तो इस योजना का लाभ जरूर उठाइए। आज ही ऑनलाइन आवेदन करें और अपने परिवार और खेती को सुरक्षित बनाइए।