बहुत हो चुका… अब हर गोली का जवाब बम से मिलेगा।” यही संदेश भारत की ओर से साफ-साफ पाकिस्तान को दिया गया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंक के अड्डों पर की गई कार्रवाई के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हालात तेजी से युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं। एलओसी पर गोलीबारी, ड्रोन हमले और सेना की तैनाती अब सामान्य घटनाएं नहीं रह गईं – यह एक खुली चेतावनी है कि भारत अब हर कीमत पर अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
सीमा पर गोलियों की गूंज, बंकरों में सिमटते सपने
कश्मीर के सीमावर्ती गांवों में लोग रातें बंकरों में बिता रहे हैं। चारों ओर गोलियों की आवाजें और आसमान में उड़ते ड्रोन – ये दृश्य अब वहां के लिए रोजमर्रा की बात बन गए हैं। शुक्रवार को हुए संघर्ष में एक ही परिवार के तीन सदस्य घायल हुए। एक मां की आंखों में आंसू थे लेकिन आवाज में आग – “अगर मेरे बेटे की जान गई तो बदला जरूर होगा।”
भारतीय वायुसेना की तकनीकी ताकत: दुश्मन की नींद उड़ गई
भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर में जो किया, वो एक सैन्य कार्रवाई नहीं बल्कि युद्ध कला की मिसाल बन गया। अत्याधुनिक SCALP मिसाइलें, AASM हैमर बम, AI आधारित सटीक लक्ष्य निर्धारण – ये सब दिखाता है कि भारत अब सिर्फ पारंपरिक ताकत नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजिकल फोर्स भी है।
पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाइयाँ – दावा ज्यादा, सच्चाई कम?
पाकिस्तान भले दावा कर रहा हो कि उसने भारतीय ड्रोन गिराए हैं, लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट्स और अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों की राय कुछ और ही कहती है। भारत के हमले से पाकिस्तानी सैन्य ढांचे और आतंकी नेटवर्क को बड़ा नुकसान हुआ है। कुछ रिपोर्टों के मुताबिक बहावलपुर और कोटली में जैश और लश्कर के ठिकाने पूरी तरह तबाह हो गए हैं।
जवाबी कार्रवाई नहीं, यह नया भारत है
भारत ने यह संदेश दुनिया को दे दिया है कि अब वह पहले जैसा रक्षात्मक देश नहीं रहा। अगर एक हिंदुस्तानी नागरिक पर हमला हुआ तो उसका जवाब सिर्फ भाषणों में नहीं, हवाई हमलों और मिसाइलों से मिलेगा। यह एक नयी नीति है – “No More Silence, Only Action.”
आर्थिक दबाव और वैश्विक मंच पर हलचल
सैन्य संघर्ष का असर बाजार पर भी दिखा है। रुपया कमजोर हुआ है, निवेशकों में घबराहट है लेकिन देश की जनता इस वक़्त सरकार के साथ खड़ी है। सोशल मीडिया पर #IndiaStrikesBack और #NewIndia की बाढ़ आ गई है।
दुनिया की नजर भारत पर – और भारत की नजर अपने दुश्मनों पर
अमेरिका, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र भले ही शांति की अपील कर रहे हैं, लेकिन भारत की जनता अब केवल अपीलों से संतुष्ट नहीं। अब आवाजें साफ हैं – “शांति तभी जब आतंक की जड़ें मिटें।”
निष्कर्ष: ये सिर्फ युद्ध नहीं, नई नीति का एलान है
यह संघर्ष अब सिर्फ सरहद की लड़ाई नहीं – यह भारत की नयी विदेश नीति, नयी सैन्य नीति और आत्मसम्मान की लड़ाई बन चुका है। भारत की जनता अब यह जान चुकी है कि सुरक्षा केवल बातचीत से नहीं मिलती – कभी-कभी उसके लिए बंदूक उठानी पड़ती है।