प्रशांत किशोरप्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर: Bihar Ke बक्सर से निकलकर दिल्ली की सत्ता के गलियारों तक

जब राजनीति के पन्ने पलटे जाते हैं, तो कई नाम सामने आते हैं – लेकिन कुछ नाम ऐसे होते हैं जो बिना कुर्सी पर बैठे भी कुर्सी हिला देते हैं। ऐसा ही एक नाम है – प्रशांत किशोर, यानी PK

बिहार के बक्सर से निकलकर देश के बड़े-बड़े नेताओं की चुनावी रणनीति तय करने वाले PK आज ना सिर्फ एक नाम हैं, बल्कि एक सोच बन चुके हैं – जो कहती है कि बिना खुद नेता बने भी राजनीति बदली जा सकती है।


बचपन से पढ़ाई तक: PK की शुरुआत कहां से हुई?

प्रशांत किशोर का जन्म बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव में हुआ था। उनके पिता सरकारी डॉक्टर थे, जिसकी वजह से उनका बचपन बक्सर में बीता। वे एक मेधावी छात्र थे, जिनमें शुरू से ही एक सवाल करने की आदत थी – “सिस्टम को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है?”

उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और इसके बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने का फैसला किया। यही सोच उन्हें ले गई United Nations (UN) तक, जहां उन्होंने करीब 8 साल तक public health और नीति निर्माण में योगदान दिया।

UN से भारत वापसी

विदेशों में काम करने के बाद भी उनका मन अपने बिहार में ही बसता था। भारत लौटने के बाद उन्होंने देखा कि यहां की राजनीति में रणनीति की जबरदस्त कमी है। यही से उन्होंने तय किया कि अब वे “Election Strategy” को एक नया रूप देंगे।


2014 में पहली बड़ी पहचान: नरेंद्र मोदी का अभियान

2014 का लोकसभा चुनाव PK की जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बन गया। उन्होंने नरेंद्र मोदी के चुनावी कैंपेन को संभाला, और कुछ ऐसे इनोवेटिव आइडिया दिए जो पहले कभी नहीं हुए थे:

  • Chai Pe Charcha – आम लोगों से जुड़ने का तरीका
  • Run for Unity – सरदार पटेल को केंद्र में लाकर राष्ट्रवाद को जोड़ा
  • 3D Hologram Rallies – टेक्नोलॉजी का ज़बरदस्त इस्तेमाल
  • Social Media – डिजिटल प्रचार में नई जान डाली

इन सबके पीछे थी PK की सोच – जनता के दिल और दिमाग को पढ़कर सही समय पर सही संदेश देना।

प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर

PK की सबसे चर्चित चुनावी सफलताएं

PK ने ना सिर्फ बीजेपी के लिए बल्कि कई अन्य पार्टियों के लिए भी चुनावी कैंपेन संभाला और उन्हें जीत दिलाई। आइए एक नजर डालें उनके कुछ बड़े अभियानों पर:

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● 2015 – बिहार विधानसभा चुनाव

नीतीश कुमार, लालू यादव और कांग्रेस को मिलाकर PK ने महागठबंधन बनवाया। नतीजा – BJP को हराकर नीतीश बने फिर से मुख्यमंत्री।

● 2017 – पंजाब विधानसभा चुनाव

कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए कांग्रेस को मजबूती से खड़ा किया। PK की रणनीति से अकाली दल को बड़ी हार का सामना करना पड़ा।

● 2019 – आंध्र प्रदेश चुनाव

Jagan Mohan Reddy की YSR कांग्रेस को सत्ता दिलाई। यह जीत PK की ग्राउंड लेवल मैपिंग और सामाजिक मुद्दों के सही इस्तेमाल की वजह से संभव हुई।

● 2021 – पश्चिम बंगाल चुनाव

जब TMC संकट में थी, PK ने ममता बनर्जी को single-handedly बचाया। उन्होंने ‘Bengal Pride’ के भाव को जनता से जोड़कर BJP को मात दी।

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I-PAC: चुनावी रणनीति की फैक्ट्री

PK ने एक प्रोफेशनल संस्था बनाई – I-PAC (Indian Political Action Committee)
यह टीम election management को एक scientific और डेटा आधारित रूप देती है। इसमें ground survey से लेकर social media strategy, booth mapping, और influencer targeting तक सब कुछ शामिल है।

आज I-PAC की टीम देशभर में 500+ political professionals को ट्रेन कर रही है, जो आने वाले समय की राजनीति की दिशा तय करेंगे।


क्या है PK की असली ताकत?

प्रशांत किशोर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि वो जमीनी राजनीति को theory की तरह नहीं, reality की तरह समझते हैं।
उनकी प्लानिंग में तीन बातें अहम होती हैं:

  • जनता की pulse को पकड़ना
  • डेटा और फिल्ड वर्क का मेल करना
  • बिना भावनात्मक नारेबाजी के सोचपूर्ण रणनीति बनाना

उनके लिए कोई भी राज्य सिर्फ एक वोट बैंक नहीं, बल्कि एक सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान है जिसे समझकर ही वहां जीत संभव है।प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर 2024 को बिहार में जन सुराज पार्टी (Jan Suraaj Party) की औपचारिक घोषणा की। यह पार्टी उनके “जन सुराज अभियान” का परिणाम है, जिसे उन्होंने 2 मई 2022 को एक ग्रासरूट आंदोलन के रूप में शुरू किया था।


PK खुद कभी चुनाव क्यों नहीं लड़े?

यह सवाल कई बार उठता है – “PK खुद चुनाव क्यों नहीं लड़ते?”
जवाब सीधा है – वो सिस्टम को सुधारना चाहते हैं, सत्ता में बैठना नहीं।

उनका मानना है कि अगर वो नेताओं को बेहतर बनने में मदद कर सकते हैं, तो उन्हें खुद नेता बनने की ज़रूरत नहीं।


प्रशांत किशोर
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निष्कर्ष: क्या PK ही हैं बिहार का नया भविष्य?

आज जब बिहार रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों से जूझ रहा है, तब एक ऐसा व्यक्ति सामने आता है जिसने देश के कई राज्यों को जीत दिलाई, लेकिन खुद कभी चुनाव नहीं लड़ा।

PK ने दिखाया है कि एक बिहारी सोच अगर ठान ले, तो देश की राजनीति को भी नया रास्ता दे सकती है।

शांत, गंभीर, लेकिन असरदार – यही है प्रशांत किशोर।

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