परिचय: कौन हैं मनीष कश्यप?
मनीष कश्यप, जिनका असली नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी है, बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के डुमरी महनवा गांव से ताल्लुक रखते हैं। वे एक स्वतंत्र यूट्यूब पत्रकार हैं जो सामाजिक मुद्दों, सरकारी योजनाओं और प्रशासनिक खामियों को बेबाकी से उठाने के लिए जाने जाते हैं। लोग उन्हें ‘सन ऑफ बिहार’ के नाम से भी जानते हैं।
शिक्षा और करियर की शुरुआत
अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिहार में पूरी करने के बाद मनीष ने पुणे स्थित सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। हालांकि, उन्होंने इंजीनियरिंग को छोड़कर पत्रकारिता के ज़रिए समाज की सेवा को अपना रास्ता चुना।
यूट्यूब चैनल ‘Sach Tak News’
2018 में उन्होंने ‘Sach Tak News’ नामक यूट्यूब चैनल की शुरुआत की, जो आज बिहार का एक प्रमुख स्वतंत्र मीडिया प्लेटफॉर्म बन चुका है। यह चैनल ज़मीनी हकीकत, भ्रष्टाचार, सरकारी योजनाओं की समीक्षा और जनता की आवाज़ को सामने लाने का काम करता है।
2025 तक इस चैनल के 9.2 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स हो चुके हैं और अब तक इस पर 3.2 अरब से अधिक व्यूज़ आ चुके हैं।
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मनीष कश्यप की कुल संपत्ति और कमाई
2025 के अनुमान के अनुसार, मनीष कश्यप की कुल संपत्ति ₹60 लाख से ₹70 लाख के बीच आंकी गई है। उनकी आय के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं:
मनीष हर महीने औसतन 15–25 वीडियो पोस्ट करते हैं। एक वीडियो से उनकी कमाई ₹25,000 से ₹35,000 तक हो सकती है। इस हिसाब से उनकी मासिक आय ₹4 लाख से ₹7 लाख के बीच अनुमानित है। यदि व्यूअरशिप इसी प्रकार बनी रही तो उनकी सालाना आय 2025 के अंत तक ₹60–80 लाख तक पहुँच सकती है।
वे ब्रांड प्रमोशन जैसे साधनों से फिलहाल आय नहीं करते, लेकिन भविष्य में सोशल मीडिया की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म से इनकम का एक और जरिया बन सकता है।

मनीष कश्यप की गाड़ियों का कलेक्शन
मनीष के पास Mahindra Scorpio S11 और Maruti Suzuki Dzire जैसी गाड़ियाँ हैं। वे ज़्यादातर ग्रामीण और दूरदराज़ इलाकों में रिपोर्टिंग करते हैं, इसलिए इन मजबूत वाहनों का इस्तेमाल करते हैं।
लोकप्रियता और विवाद
मनीष का नाम कई बार विवादों में भी रहा है। खासकर जब उन्होंने बिहार सरकार और प्रशासन से तीखे सवाल किए। 2023 में तमिलनाडु में बिहारी मज़दूरों से जुड़ी खबर को लेकर वे कानूनी विवाद में भी फँसे, लेकिन इससे उनकी लोकप्रियता पर असर नहीं पड़ा।
उनका एक बयान –
“अगर जनता के सवाल उठाने से जेल जाना पड़े, तो मैं बार-बार जाऊँगा” –
आज भी बिहार के युवाओं में चर्चा का विषय बना हुआ है।
पत्रकारिता में उनकी अलग पहचान
- मनीष कश्यप पत्रकारिता को सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम मानते हैं।
- उन्होंने बिना किसी बड़े मीडिया संस्थान के समर्थन के अपनी पहचान बनाई है।
- वे कैमरे के सामने खुद खड़े होकर रिपोर्टिंग करते हैं और किसी भी मुद्दे पर बेझिझक बोलते हैं।
- उनका चैनल केवल TRP की दौड़ में नहीं बल्कि समाज के असली मुद्दों पर काम करता है।
निष्कर्ष: क्या है आगे का रास्ता?
मनीष कश्यप की कहानी यह दिखाती है कि ईमानदारी और जज़्बे के साथ कोई भी व्यक्ति जनता की आवाज़ बन सकता है। आज जब व्यावसायिक मीडिया अपने उद्देश्य से भटक रहा है, मनीष जैसे स्वतंत्र पत्रकार एक नई उम्मीद की किरण हैं। आने वाले वर्षों में अगर वे अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखते हैं, तो वे न सिर्फ बिहार बल्कि देश के प्रमुख स्वतंत्र पत्रकारों में शुमार होंगे।
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